
पिछले हफ़्ते रामकुमार ने कहा कि बीते दशक में बदलते हिन्दुस्तानी समाज की विविध धाराओं को एक अंक में समेटने की कोशिश है. आप पिछले दशक के सिनेमा पर टिप्पणी लिखें. ख़्याल मज़ेदार था. लिखा हुआ आज की पत्रिका के रविवारीय परिशिष्ठ में प्रकाशित हुआ है. Continue reading