” बड़ी प्रार्थना होती है। जमाखोर अौर मुना़फाखोर साल-भर अनुष्ठान कराते हैं। स्मगलर महाकाल को नरमुण्ड भेंट करता है। इंजीनियर की पत्नी भजन गाती हैं – ‘प्रभु कष्ट हरो सबका’। भगवन्, पिछले साल अकाल पड़ा था तब सक्सेना अौर राठौर को अापने राहत कार्य दिलवा दिया था। प्रभो, इस साल भी इधर अकाल कर दो अौर ‘इनको’ राहत कार्य का इंचार्ज बना दो। तहसीलदारिन, नायबिन, अोवरसीअरन सब प्रार्थना करती हैं। सुना है विधायक-भार्या अौर मंत्री-प्रिया भी अनुष्ठान कराती हैं। जाँच कमीशन के बावजूद मैं ऐसा पापमय विचार नहीं रखता। इतने अनुष्ठानों के बाद इन्द्रदेव प्रसन्न होते हैं अौर इलाके के तरफ से नल का कनेक्शन काट देते हैं।
हर साल वसन्त !
हर साल शरद !
हर साल अकाल ! ” — हरिशंकर परसाई, ‘अकाल-उत्सव’ से।
प्रगति
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