साझी विरासत का दोअाबा

ajay bhradwaj

पंजाब से अाया बुलावा अजय की फिल्मों को देखने अौर उन पर बात करने का था। अजय भारद्वाज की पंजाब की पृष्ठभूमि पर बनी दो वृत्तचित्र फिल्में ‘रब्बा हुणं की करिये’ अौर ‘मिलांगे बाबे रतन ते मेले ते’ साथ देखना अौर साथी कॉमरेडों से बातचीत मेरे लिए एक नए अनुभव का हिस्सा थी। इससे पहले अजय पंजाब की ही पृष्ठभूमि पर वृत्तचित्र ‘कित्थे मिल वे माही’ भी बना चुके हैं अौर इन तीन फिल्मों को साथ उनकी पंजाब-पार्टीशन ट्रिलॉजी के रूप में देखा जा सकता है। जहाँ ‘रब्बा हुणं की करिये’ रौशन बयानों से मिलकर बनती फिल्म है वहीं ‘मिलांगे बाबे रतन ते मेले ते’ जैसे अपना कैनवास बड़ा कर लेती है अौर उसमें पंजाब का तमाम खालीपन अौर उस खालीपन में गहरे पैठा सूफ़ी संगीत शामिल होकर हमारे सामने अाज के पंजाब की प्रचलित तस्वीरों के मुकाबले एक निहायत ही भिन्न तस्वीर पेश करता है।

Continue reading