“हर भले आदमी की एक रेल होती है
जो माँ के घर की ओर जाती है
सीटी बजाती हुई
धुआँ उड़ाती हुई” ~ आलोक धन्वा
कोलकाता
There is one post tagged कोलकाता.
There is one post tagged कोलकाता.
“हर भले आदमी की एक रेल होती है
जो माँ के घर की ओर जाती है
सीटी बजाती हुई
धुआँ उड़ाती हुई” ~ आलोक धन्वा